दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ कर के कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्णविधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है। इस संस्करण में संस्कृत के मूल श्लोकों के साथ सुन्दर हिंदी भावार्थ भी दिया हुआ है।
हिन्दू धर्म में नवरात्र और मां दुर्गा का विशेष महत्व है. नवरात्र को उपासना का पर्व माना जाता है. इस पर्व के दौरान भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं. दुर्गा सप्तशती में देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच संग्राम का वर्णन है कि कैसे उन्होंने इस राक्षस का वध करके धरा को उसके अत्याचारों से मुक्त करवाया था. दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य या चंडी पाठ मार्कण्डेय पुराण का हिस्सा है, जिसकी रचना पौराणिक काल में ऋषि मार्कण्डेय ने की थी।
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